सभी लोग चाहते हैं कि जीवन हल्का हो, किन्तु कठिनाई यह है कि वे उसकी प्रक्रिया को नहीं अपनाते. प्रक्रिया को अपनाए बिना केवल कथन मात्र से जीवन हल्का हो जाए तो इसका अर्थ यह होगा कि बिना परिश्रम के ही मनुष्य को सब कुछ प्राप्त हो सकता है. पर वह ‘न भूयं न भविस्सई’ अर्थात न कभी हुआ है न कभी होगा. लेकिन यदि प्रयोग किये जाएँ तो मेरे विचार से निश्चित ही जीवन हल्का हो सकता है.
– आचार्य श्री तुलसी Acharya Shri Tulsi
प्रारम्भिक संस्कार
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प्रतिदिन और प्रत्येक कार्य के प्रारम्भ में नमस्कार महामंत्र का स्मरण.
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ध्यान, जप, आत्मचिंतन का अभ्यास.
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व्यसनमुक्त जीवन (मद्यपान, धूम्रपान, अंडा, मांस आदि का त्याग).
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गृह सज्जा में जैनत्व बोधक चित्र एवं प्रतीकों (अर्हम, नमस्कार महामंत्र, तीर्थंकर-आचार्य नामावली आदि) का उपयोग.
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प्रवेश द्वार पर जय-जिनेन्द्र, जिनेंद्राय नमः, जैन प्रतीक आदि का आलेखन.
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पारस्परिक मिलन के अवसर पर एवं पत्र आदि प्रारम्भ करते समय “जय-जिनेन्द्र” का प्रयोग.
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पर्व दिवस पर एवं अन्य विशेष कार्यक्रमों में जैन प्रतीक एवं ध्वज का प्रयोग.
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नए खाते शुरू करने के समय पर दीपावली पर्व की विधि का उपयोग.
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शुभ कार्य करने के लिए मांगलिक दिन
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चैत्र शुल्का १३ – महावीर जयन्ती
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वैशाख शुक्ला ३ – अक्षय तृतीया
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ज्येष्ठ कृष्णा १३ – शांतिनाथ जयन्ती
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आषाढ़ कृष्णा ८ – नेमीनाथ निर्माण दिवस
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मार्गशीर्ष कृष्णा १० – महावीर दीक्षा कल्याण दिवस
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पोष कृष्णा १० – पार्श्व जयन्ती
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माघ शुक्ला ५ – बसंत पंचमी