Naming Ceremony Rituals – Jain Sanskaar Vidhi

जैन संस्कार विधि 

सभी लोग चाहते हैं कि जीवन हल्का हो, किन्तु कठिनाई यह है कि वे उसकी प्रक्रिया को नहीं अपनाते. प्रक्रिया को अपनाए बिना केवल कथन मात्र से जीवन हल्का हो जाए तो इसका अर्थ यह होगा कि बिना परिश्रम के ही मनुष्य को सब कुछ प्राप्त हो सकता है. पर वह ‘न भूयं न भविस्सई’ अर्थात न कभी हुआ है न कभी होगा. लेकिन यदि प्रयोग किये जाएँ तो मेरे विचार से निश्चित ही जीवन हल्का हो सकता है.  

– आचार्य श्री तुलसी Acharya Shri Tulsi


नामकरण संस्कार

आवश्यक निर्देश
  • शिशु के जन्म की तिथि और समय सही रूप से लिखित हो.
  • नामकरण संस्कार का दिन और समय अपनी सुविधानुसार या ज्योतिष के आधार पर निश्चित किया जाए.
  • नामकरण के समय अपने निकटजनों, परिचितों, इष्ट मित्रों आदि को आमंत्रित किया जा सकता है.

नामकरण विधि
  1. घर में उचित स्थान पर जच्चा के लिए उच्चासन (सुविधाजनक) का प्रबंध किया जाए और उसके निकट ही संस्कारक (संस्कार कराने वाले) का आसन हो.
  2. संस्कार विधि में आसन की स्थिति ऎसी हो कि जच्चा का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे.
  3. संस्कारक के सम्मुख कुमकुम, मोली, गुड-चंवले की फली, चावल, जल कलश, सिक्का आदि मंगल सामग्री युक्त थाल का प्रबंध किया जाए.
  4. संस्कार विधि का प्रारम्भ कन्याओं, महिलाओं द्वारा मंगल गीत से किया जाए.

परमेष्ठी वंदना

वन्दना आनन्द पुलकित विनयनत हो मैं करूं
एक लय हो एक रस हो भाव तन्मयता वरूं

णमो अरिहंताणं
सहज निज आलोक से भासित स्वयं सम्बुद्ध हैं
धर्म तीर्थंकर शुभंकर वीतराग विशुद्ध हैं
गति प्रतिष्ठा त्राण दाता आवरण से मुक्त हैं
देव अर्हत दिव्य योगज अतिशयों से युक्त हैं

णमो सिद्धाणं
बंधनों की शृंखला से मुक्त शक्ति स्रोत हैं
सहज निर्मल आत्मलय में सतत ओतःप्रोत हैं
दग्ध कर भव बीज अंकुर अरुज अव अविकार हैं
सिद्ध परमात्मा परम ईश्वर अपुनरवतार हैं

णमो आयरियाणं
अमलतम आचारधारा में स्वयं निष्णात हैं
दीप सम शत दीप दीपन के लिए प्रख्यात हैं
धर्मशासन के धुरन्धर धीर धर्माचार्य हैं
प्रथमपद के प्रवर प्रतिनिधि प्रगति में अनिवार्य हैं

णमो उवज्झायाणं
द्वादशांगी के प्रवक्ता ज्ञान गरिमा पुंज हैं
साधना के शांत उपवन में सुरम्य निकुंज हैं
सूत्र के स्वाध्याय में संलग्न रहते हैं सदा
उपाध्याय महान श्रुतधर धर्म शासन संपदा

णमो लोए सव्वसाहूणं
लाभ और अलाभ में सुख दुख में मध्यस्थ हैं
शांतिमय वैराग्यमय आनंदमय आत्मस्थ हैं
वासना के विरत आकृति सहज परम प्रसन्न हैं
साधना धन साधु अन्तर्भाव में आसन्न हैं

वन्दना आनन्द पुलकित विनयनत हो मैं करूं
एक लय हो एक रस हो भाव तन्मयता वरूं

  1. संस्कारक द्वारा थाल के बीच में कुमकुम से स्वास्तिक या अर्हम अंकित किया जाए. फिर जच्चा और शिशु को तिलक कर व मोली बाँध कर गुड से दोनों का मुंह मीठा किया जाए.
  2. संस्कारक मंगल सूत्रों के संगानपूर्वक नामकरण विधि संपन्न कराए.
    मंगल सूत्र

(क) नमस्कार महामंत्र
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं अर्हभ्यो नमो नमः
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं सिद्धेभ्यो नमो नमः
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं आचार्येभ्यो नमो नमः
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं उपाध्यायेभ्यो नमो नमः
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं गौतमस्वामिप्रमुख सर्व साधुभ्यो नमो नमः

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं,
णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।
एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पावप्पणसणो,
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढ़मं हवइ मंगलं॥

(ख) मंगल पाठ
अरहंता मंगलं सिद्धा मंगलं साहू मंगलं
केवलि पण्णत्तो धमो मंगलं

अरहंता लोगुत्तमा सिद्धा लोगुत्तमा साहू लोगुत्तमा
केवलि पण्णत्तो धमो लोगुत्तमो

अरहंते सरणं पवज्जामि सिद्धे सरणं पवज्जामि साहू सरणं पवज्जामि
केवलि पण्णत्तं धम्मं सरणं पवज्जामि

(ग) उक्कित्तणं
लोगस्स उज्जोयगरे धम्मतित्थयरे जिणे।
अरहंते कित्तइस्सं चउवीसंपी केवली॥

उसभमजियं च वंदे संभवमभिनंदणं च सुमइं च।
पउमप्पहं सुपासं जिणं च चंदप्पहं वंदे॥

सुविहिं च पुप्फदंतं सीअल सिज्जंस वासुपुज्जं च।
विमलमणंतं च जिणं धम्मं संति च वंदामि॥

कुंथुं अरं च मल्लिं वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च।
वंदामि रिट्ठनेमिं पासं तह वद्धमाणं च॥

एवं मए अभिथुआ विहुयरयमला पहीणजरमरणा।
चउवीसंपि जिणवरा तित्थयरा मे पसीयंतु॥

कित्तिय वंदिय मए जेए लोगस्स उत्तमा सिद्धा।
आरोग्ग बोहिलाभं समाहिवरमुत्तमं दिंतु॥

चंदेसु निम्मलयरा आइच्चेसु अहियं पयासयरा।
सागरवरगंभीरा सिद्धा सिद्धि मम दिसंतु॥

(घ)
नो रोगा नैव शोका, न कलहकलना, नारिमारिप्रचारा
नैवाधिर्नासमाधिर्न च दर-दुरिते दुष्टदारिद्रता च.

नो शाकिन्यो ग्रहा नो न हरिकरि-गणा व्यालवेत.
लजाला जायन्ते पार्श्वचिंतामणिनतिवशतः प्राणिनां भक्तिजाम  

(ड़)
ॐ नमः पार्श्वनाथाय, धरणेन्द्रपद्मावतिसहिताय विषहर
फुलिंगमंगलाय ॐ ह्रीं श्रीं चिंतामणये पार्श्वनाथाय.  

(च)
ॐ ह्रीं श्रीं
ग्रहाश्चंद्र-सूर्यांगारक-बुध-बृहस्पति-शुक्र-शनैश्चर राहुकेतु सहिताः
खेटा जिनपति पुरतोऽवतिष्ठन्तु
मम धन-धान्य-जय विजय-सुख-सौभाग्य-धृति-कीर्ति-शान्ति-तुष्टि-पुष्टि-बुद्धि-लक्ष्मी-धर्मार्थ
कामदाः स्युः स्वाहा.

(छ)
नाणेण दंसणेण य, चरित्तेण तवेण य.
खंतीए मुत्तीए, वड्ढमाणो भवाहि य..
  1. संस्कार विधि के पश्चात पीहर पक्ष की तरफ से जच्चा को साडी, ओढना इत्यादि भेंट किया जाए.
  2. ज्योतिष या अपने विशवास के आधार पर संस्कारक शिशु का संस्कृतिपरक नाम घोषित करे.
  3. निर्दिष्ट मंगल गीतों से कार्यक्रम संपन्न किया जाए.

नामकरण के लिए जन्म नक्षत्र और जन्म राशि को आधार माना जाता है. नक्षत्र और राशियों के लिए कुछ अक्षर निर्धारित हैं. उन्हीं अक्षरों में से किसी एक अक्षर को आदि मानकर नामकरण किया जाता है. नक्षत्र 27 और राशियाँ 12 हैं. प्रत्येक नक्षत्र के लिए चार-चार अक्षर और राशि के लिए नव-नव अक्षरों का विधान है. वह इस प्रकार है:
नक्षत्रों के आगे उल्लिखित अक्षरों में कई स्थानों पर ह्रस्व का प्रयोग है. जैसे अ, उ, क, प, ह, ग, च आदि और कई स्थानों पर दीर्घ का प्रयोग है जैसे ई, मा, टा, रा, ना, या, धा, जा, सा आदि तथा कई जगह एक ही अक्षर का प्रयोग है जैसे फा, ढा आदि. ऐसे में विधि यह है कि जहां ह्रस्व है वहाँ दीर्घ जैसे अ के स्थान पर आ आदि और जहां दीर्घ है वहाँ ह्रस्व जैसे ई के स्थान पर इ आदि को लिया जा सकता है, जहां एक ही अक्षर है वहाँ सारी मात्राओं को ग्रहण करें जैसे फा के स्थान पर फी, फू, फे आदि.  


नक्षत्र
अक्षर
राशि
अश्विनी
चू, चे, चो, ला
मेष
भरणी
ली, लु, ले, लो
मेष
कृत्तिका
मेष
कृत्तिका
ई, उ, ए
वृषभ
रोहिणी
ओ, वा, वी, वू
वृषभ
मृगशीर्ष
वे, वो
वृषभ
मृगशीर्ष
क, की
मिथुन
आर्द्रा
कू, घ, ङ, छ
मिथुन
पुनर्वसु
के, को, ह
मिथुन
पुनर्वसु
ही
कर्क
पुष्य
हु, हे, हो, डा
कर्क
अश्लेषा
डी, डु, डे, डो
कर्क
मघा
मा, मी, मू, मे
सिंह
पूर्वाफाल्गुनी
मो, टा, टी, टू
सिंह
उत्तरा फाल्गुनी
टे
सिंह
उत्तरा फाल्गुनी
टो, प, पी
कन्या
हस्त
पू, ष, ण, ठ  
कन्या
चित्रा
पे, पो
कन्या
चित्रा
रा, री
तुला
स्वाति
रू, रे, रो, ता
तुला
विशाखा
ती, तू, ते
तुला
विशाखा
तो
वृश्चिक
अनुराधा
ना, नी, नू, ने
वृश्चिक
ज्येष्ठा
नो, या, यी, यू
वृश्चिक
मूल
ये, यो, भ, भी
धनु
पूर्वाषाढा
भू, धा, फा, ढा
धनु
उत्तराषाढा
भे
धनु
उत्तराषाढा
भो, जा, जी
मकर
श्रवण
खी, खू, खे, खो
मकर
घनिष्ठा
ग, गी
मकर
घनिष्ठा
गू, गे
कुंभ
शतभिषा
गो, सा, सी, सू
कुंभ
पूर्वभाद्रपद
से, सो, द
कुंभ
पूर्वभाद्रपद
दि
मीन
उत्तराभाद्रपद
दू, थ, ज, ञ
मीन
रवेती
दे, दो, च, ची
मीन


संस्कृतिपरक, गुणपरक और अर्थपरक नामों की दृष्टि से कुछ नाम ये हो सकते हैं:

अरिहंतकुमार, अभिनंदनकुमार, अनंतकुमार, अतिमुक्त, अभयकुमार
अंजना, अमृता, अचला, अंजलि, अनुपमा

आर्द्रकुमार, आनंदकुमार, आदर्श कुमार, आलोक कुमार
आराधना, आस्था, आयुष्मती

इन्द्रभूति, इलाकुमार

उदयन कुमार, उज्जवल कुमार, उद्योत कुमार, उमास्वाति, उन्मेष कुमार
उदय श्री, उत्तरा, उर्मिला, उज्जवल कुमारी

कुमारपाल, कीर्तिधर, कुमुदचंद्र, कौशल कुमार
कमलावती, कुंती, कौशल्या, करुणा, कुलवती

गुणवर्धन, गुणशील, गौतम, गुणाकर
गुण श्री, गरिमा, गुप्तिप्रभा, गुणावली, गीतप्रिया

चन्द्रप्रभ, चन्द्रानन, चित्रभानु, चिरंजीव
चंदनबाला, चेलणा, चारुमती, चित्रलेखा, चक्रेश्वरी

जिनचंद्र, जिनमित्र, जम्बूकुमार, जिनपाल
जयन्ती, जिनरेखा, जाया, जागृति

तरुण कुमार, तिष्यगुप्त, तत्वसेन, तारकचंद्र, तत्वरूचि
तितिक्षा, तारामती, तृप्ति

दर्शन कुमार, दिवाकर, दिनकर
दमयंती, दिव्यमती, दयावती, दीप्ति

धर्मसेन, धन्यकुमार, धनञ्जय, धीरकुमार, धर्मपाल
धारिणी, धर्मवती, धन्य श्री

नंदीवर्धन, नंदीघोष, नेमीकुमार, नयकुमार, नवनीत कुमार
नीति, निर्मला, निर्जरा

पुष्पदंत, पवनजय, पद्मसेन, प्रसेनजित, प्रियंकर
प्रभावती, पद्मावती, प्रज्ञावती, पुष्पचूला, पूर्णिमा, प्रीति, प्रतिज्ञा

बोधकुमार, बन्धुगुप्त, बाहुबली
बुद्धिमती, ब्राह्मी

भारत कुमार, भद्रबाहु, भामंडल, भद्रगुप्त
भद्रावती, भाग्यवती, भानुमती, भावना, भक्तिमती

मलयगिरि, महावीर, महासेन, मणिभद्र, मानतुंग, मकरंद, मयूख
मदनरेखा, ममता, मरुदेवी, मंजूमति, मंजरी, मनीषा, मेघा

यशोभद्र, युगांधर, यशोधर
यशोमती, यशास्वती, यामिती

रिषभ कुमार, रत्न कुमार, रश्मि कुमार, रत्नसेन
राजीमती, रक्षिता, रोहिणी, रजनी, रचना

लोकेश कुमार, लाभेश कुमार
लब्धि श्री, लघिमा, लता, लाभवती, ललिता, लाव्यवती

वर्धमान, विचक्षण कुमार, विभूति कुमार, विनयचंद्र
विनय श्री, वसुमती, वन्दना, विज्ञान श्री, विजया

शांतिप्रिय, श्रेणिक, शय्यंभव, श्रेयांस कुमार, शालिभद्र
शीलवती, शिव, शीला

सिद्धसेन, सुमति कुमार, सिद्धार्थ, सुगुप्त, सुघोष
समता, सुभद्रा, सुलसा, सुकौशाला, सुन्दरी

हेमचंद्र, हेमंत कुमार, हिमगिरि, हृदयेश
हिमा, हेमवती, हिमानी

क्षेमचन्द्र, क्षेमकर, क्षमापली, क्षीरकंठ
क्षमा श्री, क्षितिप्रभा, क्षीरोदा

त्रिभुवनकीर्ती
त्रिशला

ज्ञानचंद्र, ज्ञानेश
ज्ञानवती

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