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​गृह प्रवेश विधि

आवश्यक सामग्री: अक्षत (चावल), कुंकुम, मोली, गुड़, ​चंवले  की फली, लघु कलश​ से युक्त थाल​ का प्रबंध करें। मंगल भावना यंत्र, मिठाई व फल.

​घर में उचित स्थान पर गृह स्वामी व गृह स्वामिनी को उच्चासन पर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख बिठाएं। उनके निकट ही संस्कारक का आसन हो. ​

विधि:

​शुभारम्भ मंगल गीत – “भावभीनी वन्दना” के संगान से करें।

भाव भीनी वंदना भगवान चरणों में चढ़ाएँ

शुद्ध ज्योतिर्मय निरामय रूप अपने आप पाएँ

ज्ञान से निज को निहारें दृष्टि से निज को निखारें

आचरण की उर्वरा में लक्ष्य तरुवर लहलहाएँ

सत्य में आस्था अचल हो चित्त संशय से न चल हो

सिद्ध कर आत्मानुशासन विजय का संगान गाएँ

बिंदु भी हम सिंधु भी हैं भक्त भी भगवान भी हैं

छिन्न कर सब ग्रंथियों को सुप्त चेतन को जगाएँ

धर्म है समता हमारा कर्म समतामय हमारा

साम्ययोगी बन हृदय में स्रोत समता का बहाएँ

संस्कारक निम्न मन्त्रों का समुच्चारण करे ​:

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं,

णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।

एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पावप्पणसणो,

मंगलाणं च सव्वेसिं, पढ़मं हवइ मंगलं॥

​अरहंता मंगलम, सिद्धा मंगलम, साहू मंगलम, केवली पण्णत्तो धम्मो मंगलम।

अरहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवली पण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमो।

अर्हन्ते शरणं पवज्झामि, सिद्धे शरणं पवज्झामि, साहू शरणं पवज्झामि,

केवली पण्णत्तं धम्मं शरणं पवज्झामि।

अब ​संस्कारक ​निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए गृह स्वामी व गृह स्वामिनी के मस्तक पर तिलक करें और कलाई पर मोली बांधें

“सर्व मंगल मांगल्यं, सर्व कल्याणकारणम्।

प्रधानं सर्वधर्माणां, जैनं जयतु शासनम्॥”

“मंगलम् भगवान वीरो, मंगलम् गौतम प्रभु।

 मंगलम् स्थूलि भद्राद्याः, जैन धर्मोस्तु मंगलम्॥

घर में किसी पवित्र स्थान पर मंगल भावना यन्त्र का चित्र (तस्वीर) स्थापित करें।

​संस्कारक निम्न मन्त्रों का उच्चारण करे:

ॐ नमः पार्श्वनाथाय, धरणेन्द्रपद्मावतिसहिताय विषहर
फुलिंगमंगलाय ॐ ह्रीं श्रीं चिंतामणये पार्श्वनाथाय.  

ॐ ह्रीं श्रीं ग्रहाश्चंद्र-सूर्यांगारक-बुध-बृहस्पति-शुक्र-शनैश्चर राहुकेतु सहिताः
खेटा जिनपति पुरतोऽवतिष्ठन्तु मम धन-धान्य-जय
विजय-सुख-सौभाग्य-धृति-कीर्ति-शान्ति-तुष्टि-पुष्टि-बुद्धि-लक्ष्मी-धर्मार्थ
​कामदाः स्युः स्वाहा.

​संस्कारक भवन के मुख्य द्वार पर कुमकुम से स्वस्तिक, शुभ-लाभ, जय-जिनेन्द्र, एवं जैन संस्कृति परक चिह्न अंकित करे. गृहस्वामी व गृहस्वामिनी को निम्न मन्त्रों से आशीर्वाद प्रदान करे

तुष्टिरस्तु! पुष्टिरस्तु! वृद्धिरस्तु! कल्याणमस्तु! अविघ्नमस्तु! आयुष्यमस्तु! आरोग्यमस्तु! कर्मसिद्धिरस्तु! इष्टसंपत्तिरस्तु! पापानि शाम्यन्तु! पुण्यं वर्धतां! श्री: वर्धतां कुलगोत्रे चाभिवर्धेंताम्! स्वस्ति भद्रं चास्तु!

​एवं गृह प्रवेश करवाकर विधि संपन्न करे.

सभी सामूहिक रूप से ‘मंगल भावना’ के पद्यों का उच्चारण करें:

श्री सम्पन्नोहं स्याम्।  ह्री सम्पन्नोहं स्याम्।  धी सम्पन्नोहं स्याम्।  

धृति सम्पन्नोहं स्याम्।  शक्ति सम्पन्नोहं स्याम्।  शान्ति सम्पन्नोहं स्याम्।  

नंदी सम्पन्नोहं स्याम्।  तेजः सम्पन्नोहं स्याम्।  शुक्लः सम्पन्नोहं स्याम्।  

 

सभी लोग चाहते हैं कि जीवन हल्का हो, किन्तु कठिनाई यह है कि वे उसकी प्रक्रिया को नहीं अपनाते. प्रक्रिया को अपनाए बिना केवल कथन मात्र से जीवन हल्का हो जाए तो इसका अर्थ यह होगा कि बिना परिश्रम के ही मनुष्य को सब कुछ प्राप्त हो सकता है. पर वह ‘न भूयं न भविस्सई’ अर्थात न कभी हुआ है न कभी होगा. लेकिन यदि प्रयोग किये जाएँ तो मेरे विचार से निश्चित ही जीवन हल्का हो सकता है.  

– आचार्य श्री तुलसी Acharya Shri Tulsi

 

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