Diwali (Deepawali) Rituals – Jain Sanskaar Vidhi

जैन संस्कार विधि 

सभी लोग चाहते हैं कि जीवन हल्का हो, किन्तु कठिनाई यह है कि वे उसकी प्रक्रिया को नहीं अपनाते. प्रक्रिया को अपनाए बिना केवल कथन मात्र से जीवन हल्का हो जाए तो इसका अर्थ यह होगा कि बिना परिश्रम के ही मनुष्य को सब कुछ प्राप्त हो सकता है. पर वह ‘न भूयं न भविस्सई’ अर्थात न कभी हुआ है न कभी होगा. लेकिन यदि प्रयोग किये जाएँ तो मेरे विचार से निश्चित ही जीवन हल्का हो सकता है.  

– आचार्य श्री तुलसी Acharya Shri Tulsi


दीपावली पर्व

दीपावली भारत का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्व है. इस पर्व के साथ विभिन्न संस्कृतियों एवं महापुरुषों के जीवन की महत्वपूर्ण स्मृतियों का ऐसा सम्मिश्रण हो गया है कि उससे किसी एक को अलग करना कठिन है. अलग करना आज आवश्यक भी नहीं है क्योंकि ऐसे पर्वों के सम्यक आयोजन से ही भावात्मक एकता का निर्माण होता है. इसके विकास में जैनेतर धर्मावलंबियों का जैसा योग है वैसा ही जैन धर्मावलंबियों का भी योगदान है.

प्राचीन साहित्य के अनुसार दीपावली का एक सम्बन्ध भगवान महावीर के निर्वाण से है. महावीर इस युग के अंतिम तीर्थंकर थे. उनके निर्वाण के साथ ही सम्पूर्ण विश्व से एक दिव्य ज्योति विलीन हो गई. उस स्मृति के प्रतीक स्वरुप जनता ने दीप ज्योति कर अमावस्या के बाह्य अंधकार को मिटाने का प्रयत्न किया. उस दिव्य ज्योतिपुंज की स्मृति में केवल बाह्य दीपों को प्रज्वलित कर ही संतुष्ट नहीं होना है. उसके लिए आतंरिक ज्योति का जागरण भी आवश्यक है.

परम अहिंसक प्रभु महावीर के निर्वाण की स्मृति स्वरुप सामूहिक ध्यान, जप आदि तो करने ही चाहिए, साथ ही दीपावली के अवसर पर पूजन के समय सर्व प्रथम भगवान महावीर प्रभु की भाव वन्दना तथा अपने बही, पत्रों का प्रारम्भ करते समय संस्कृति परक शब्द वन्दना हो तो अपने परिवार में महापुरुषों की पावन स्मृति के साथ जैनत्व के संस्कार उजागर होंगे.

इसका प्रारूप इस प्रकार है.

सर्वप्रथम पूर्वाभिमुख होकर अर्हम वलय चक्र (मंगल भावना यन्त्र) को सम्मुख स्थापित कर चावल से स्वास्तिक बनाकर मांगलिक सामग्री (कुमकुम, मोली, गुड चंवले की फली, चावल, जल का लघुकलश, सिक्का आदि) सामने रखें.
एकाग्र होकर निम्न मन्त्रों का उच्चारण करें:

णमो समणस्स भगवओ महावीरस्स
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं अर्हभ्यो नमो नमः
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं सिद्धेभ्यो नमो नमः
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं आचार्येभ्यो नमो नमः
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं उपाध्यायेभ्यो नमो नमः
ओम ह्रीं श्रीं अर्हं गौतमस्वामिप्रमुख सर्व साधुभ्यो नमो नमः

अब स्वयं के मस्तक पर तिलक करें और दाईं कलाई पर मोली बांधें। फिर सभी सदस्यों के तिलक करें। निम्न मन्त्रों का उच्चारण करें:

“सर्व मंगल मांगल्यं, सर्व कल्याणकारणम्।
 प्रधानं सर्वधर्माणां, जैनं जयतु शासनम्॥”

“मंगलम् भगवान वीरो, मंगलम् गौतम प्रभु।
 मंगलम् स्थूलि भद्राद्याः, जैन धर्मोस्तु मंगलम्॥

जयइ जग-जीव-जोणी वियाणओ जग-गुरु जगाणंदो।
जगणाहो जगबन्धु जयइ जग पियामहो भयवं॥
जयइ  सुयाणं पभवो तित्थयराणं अपच्छिमो जयई।
जयइ गुरु लोगाणं जयइ महप्पा महावीरो

ॐ ह्रीं श्रीं
ग्रहाश्चंद्र-सूर्यांगारक-बुध-बृहस्पति-शुक्र-शनैश्चर राहुकेतु सहिताः
खेटा जिनपति पुरतोऽवतिष्ठन्तु
मम धन-धान्य-जय विजय-सुख-सौभाग्य-धृति-कीर्ति-शान्ति-तुष्टि-पुष्टि-बुद्धि-लक्ष्मी-धर्मार्थ
कामदाः स्युः स्वाहा

बही के मुख पृष्ठ पर निम्नलिखित शब्द वंदना लिखें:

श्री
श्री  श्री
श्री  श्री  श्री
श्री  श्री  श्री  श्री
श्री   श्री   श्री   श्री   श्री
णमो समणस्स भगवओ महावीरस्स
   
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं,
णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।
एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पावप्पणसणो,
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढ़मं हवइ मंगलं॥




श्री भगवान महावीर जैसा दिव्य ज्ञान, श्री गौतम गणधर जैसा भव्य ध्यान, श्री भरतचक्रवर्ती जैसी अनासक्ति, श्री बाहुबलि जैसी शक्ति, श्री अभय कुमार जैसी निर्मल बुद्धि, श्री धन्ना शालिभद्र जैसी रिद्धि-सिद्धि, सेठ सुदर्शन जैसा शील, श्री कयवन्ना सेठ जैसा सौभाग्य, माता मरु देवी जैसी सुख श्री के लिए शुभ वीर संवत         ,
विक्रम संवत          , तिथि कार्तिक बदी        अमावस्या,     वार, दिनांक , शुभ लग्न          एवं शुभ नक्षत्र      में श्री दीपमालिका (महावीर जयन्ती आदि) के मंगल पर्व पर भगवान महावीर के मंगलमय स्मरण के साथ बही खातों का सानन्द शुभारंभ किया।

मंगल मंत्र का इस प्रकार उच्चारण करें:

वीरः सर्व सुरा सुरेन्द्र महितो, वीरं बुधाः संश्रिता:।
वीरेणाभिहतः स्वकर्म निचयो, वीराय नित्यं नमः॥
वीरात् तीर्थमिदं प्रवृत्तमतुलं, वीरस्य घोरं तपो।
वीरे श्री धृति कीर्ति कान्तिनिचयो, हे वीर! भद्रं दिशः॥

सभी सामूहिक रूप से मंगल भावनाके पद्यों का उच्चारण करें:

श्री सम्पन्नोहं स्याम्।  ह्री सम्पन्नोहं स्याम्।  धी सम्पन्नोहं स्याम्।  
धृति सम्पन्नोहं स्याम्।  शक्ति सम्पन्नोहं स्याम्।  शान्ति सम्पन्नोहं स्याम्।  
नंदी सम्पन्नोहं स्याम्।  तेजः सम्पन्नोहं स्याम्।  शुक्लः सम्पन्नोहं स्याम्।  

महावीर स्तुति आदि मंगल गीतों का संगान करें।

महावीर भगवान, जय महावीर भगवान।
मन मंदिर में आओ, धरूं निरंतर ध्यान॥ …जय महावीर भगवान
पावन नाम तुम्हारा, मंत्राक्षर प्यारा।
मेरी स्वर लहरी पर उठे एक ही तान॥ …जय महावीर भगवान
राग द्वेष विजेता सिद्धि सदन नेता।
क्षमामूर्ति जग त्राता मिटे सकल व्यवधान॥ …जय महावीर भगवान
अनेकांत उद् गाता अनुपम सुखदाता।
जनम जनम के बंधन तोड़े कर संधान॥ …जय महावीर भगवान
आधि व्याधि की माया मिटे प्रेत छाया।
आत्म शक्ति जग जाए लघु भी बने महान॥ …जय महावीर भगवान
भक्ति भरा मन मेरा तोड़ रहा घेरा।
तन्मय बनकर तुलसी करूं सदा संगान॥  …जय महावीर भगवान

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